आत्म रंजन
बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए
आत्म रंजन
बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए
Friday, 11 April 2025
कोई जुगनू है क्या?
कोई जुगनू है क्या?
जो इस तूफ़ानी रात के अँधेरे को
चीरने को बेताब हो!
मैं आज की रात
स्वप्न के बाज़ार में ठगना नहीं
उन्हीं जुगनुओं की महफ़िल में
बिकना चाहती हूँ।
#आँचल
Wednesday, 2 April 2025
एक चिड़िया थी
एक चिड़िया थी
जो समुद्र की गहराई
में डूबना चाहती थी,
एक मछली थी
जो आकाश की ऊँचाई से
इस संसार को देखना चाहती थी
चाहतें इनकी ग़लत न थीं
पर फिर भी
लीक से हटकर तो थीं
बस इसीलिए
इनका जीवन एकाकी रहा
अपनों की फ़ेहरिस्त में शेष
'संघर्ष' ही एक साथी रहा।
#आँचल
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)