तुम्हें मालूम है कि क्या हो तुम
और क्या है तुममें 'तुम्हारा'?
यह तुम और तुम्हारे के बीच के अंतर को
क्या तुमने है कभी नापा?
कुछ तो होगा तुममें जो तुमसे अलग होगा
शायद उसी में तुम्हारा तुम कहीं गुम होगा
ज़रा खँगालो तो अंदर का समुंदर
और उसकी सतह पर ढूँढ़ो
देखो वहीं-कहीं पर
तुम्हारे 'मैं' का बिंब होगा
बस उसी को देखो,जानो और समझो,
जब जानोगे-पहचानोगे तभी तुम्हारा हर भ्रम दूर होगा
और तब कुछ भी
मैं-तुम-तुम्हारा नहीं
सब 'हमारा' होगा,
'अद्वैत' होगा।
#आँचल
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