बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Thursday, 9 June 2022

सूरज चाचा को हुआ ज़ुकाम।

 


एक दिन सूरज चाचा ने थक कर ली उबासी,

वहीं-कहीं पर खेल रहे थे भोले चंदा मामा जी,

जो खुला सूर्यमुख गुफा समान,

ठंडे-ठंडे मामा बन गए मेहमान,

मुख से भीतर प्रवेश हुआ,

फिर हुआ वही जो कभी न हुआ।

सूरज चाचा को हुआ ज़ुकाम,

अम्मा उनकी हुई परेशान,

जो छींकें तो आँधी आ जाए,

नाक बहे तो बारिश,

देवगण भी सोच रहे किसने की यह साज़िश?

भाँप-बाम कुछ काम न आया 

तब अम्मा ने डॉक्टर को बुलाया,

डॉक्टर ने मोटी सुई लगाई,

जाँच-रिपोर्ट बनकर आई,

पढ़कर डॉक्टर हुए हैरान,

सूर्य के भीतर बैठा कोई शैतान!

फिर ऑपरेशन तत्क्षण हुआ,

डॉक्टर ने चांद को मुक्त किया,

ज़ुकाम सूर्य का ठीक हुआ

पर चंदा थोड़ा झुलस गया,

उजले मुख पर दाग देखकर 

चांद बड़ा पछताया,

मोटे-मोटे आँसू संग सूर्य को यह बतलाया -

"अगर थोड़ा-सा मैं देता ध्यान 

करता न तब ऐसा काम,

मुख है,गुफा नही यह बात 

अगर मैं लेता जान।"

तब सूरज चाचा ने बड़े प्रेम से 

चंदा मामा को समझाया,

"अनुभव में ही ज्ञान पले"

यह भेद उन्हें बतलाया।

माना गलती से होते हैं 

थोड़े-बहुत नुकसान,

पर इससे ही लेकर सीख 

बनते लोग महान।


#आँचल 


( प्रस्तुत चित्र का श्रेय मेरे छोटे भाई आशुतोष पाण्डेय को )

5 comments:

  1. अच्छी बाल रचना । और इन्हीं सूरज चाचू को गेंद समझ बजरंगबली ने मुंह में बंद कर लिया था ।

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  2. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार 10 जून 2022 को 'ठोकर खा कर ही मिले, जग में सीधी राह' (चर्चा अंक 4457) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  3. बहुत अच्छी और सुंदर रचना
    खूबसूरत चित्र
    बधाई

    आग्रह है मेरे ब्लॉग को भी फॉलो करें

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  4. काल्पनिक का अनुपम समावेश करती सार्थक बाल कविता।

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  5. बहुत सुंदर प्रिय आँचल मनलुभावन बाल गीत।
    बधाई।

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