वेणु की सुन कर पुकार,
गोपिन सब सुध-बुध गयीं हार,
गड़ - गड़ मेघों की मिली ताल,
चित मयूरा पर हरि गये हार,
हाय! गोपिन के मन में डाह,
मयूरा के भाग वंशी की तान!
छलिया के छल को गयीं जान,
संग राधा गोपिन सब रचे स्वाँग,
छम - छम मयूरा संग हुई मयूर,
नाचे राधा? नाचे मयूर?
अचरज में हाय! पड़ गये श्याम,
मोहे राधा जब आठों याम!
तब माया-मयूर ने लिया जान
कोटिशः वंदन,कोटिशः प्रणाम,
आगे जिनके झुकते हैं श्याम,
राधा से ही भक्ति और ज्ञान।
#आँचल
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर मनोहर लाजवाब सृजन।
बहुत ही सुंदर सृजन.
ReplyDeleteमन मयूर और माया मयूर की कल्पना अद्भुत है। बहुत सुन्दर विम्ब की रचना। हार्दिक साधुवाद !--ब्रजेन्द्र नाथ
ReplyDeleteवाह!प्रिय आँचल ,बेहतरीन रचना!
ReplyDeleteवाह्ह..बहुत सुंदर राधेश्याम भक्ति और प्रेम का अनूठा उदाहरण है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना आँचल।
भक्ति और प्रेम रस से भरपूर सुंदर सृजन प्रिय आँचल
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना,आँचल।
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर प्रिय आँचल रहस्यवाद दी अभिनव रचना ।
ReplyDeleteसुंदर।
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ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति👌👌👌
ReplyDeletebahut khub apne ye vachan kafi khub likhe hai.
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