कोई ललित छंद मैं सुनाऊँ कैसे?
राग अनुराग का गाऊँ कैसे?-2
आँगन पड़ी दरार है,
बँटता मेरा परिवार है,
झूठी धरम की रार है,
कैसा ये व्याभिचार है!
तम कर रहा अधिकार है,
बुझने लगी मशाल है,
सत की मशालों को पुनः जलाऊँ कैसे?
राग अनुराग का गाऊँ कैसे?
कोई ललित छंद मैं सुनाऊँ कैसे?
राग अनुराग का गाऊँ कैसे?
आँगन मेरे विषाद है,
प्रीतिवियोग शाप है,
कोई अधमरी सी लाश है,
मानवता जिसका नाम है,
करुणा थी जिसकी प्रेयसी,
रण में धरम के चल बसी,
उस प्रेयसी को अब यहाँ बुलाऊँ कैसे?
राग अनुराग का गाऊँ कैसे?
कोई ललित छंद मैं सुनाऊँ कैसे?
राग अनुराग का गाऊँ कैसे?
आँगन बिछी बिसात है,
शकुनी की दोहरी चाल है,
लगी दाँव पर जो मात है,
बेटों की ये सौगात है,
भटके वतन के लाल हैं,
निश्चित धरम की मात है,
गरिमा धरम की अब यहाँ बचाऊँ कैसे?
राग अनुराग का गाऊँ कैसे?
कोई ललित छंद मैं सुनाऊँ कैसे?
राग अनुराग का गाऊँ कैसे?
#आँचल
प्रशंसनीय
ReplyDeleteउत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीय सर। सादर प्रणाम 🙏
Deleteवर्तमान जीवन-मूल्यों की विसंगतियों पर मार्मिक प्रहार। बधाई इतने सुंदर सृजन का!
ReplyDeleteउत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय सर। सादर प्रणाम 🙏
Deleteरचना पूर्व आपकी प्रस्तावना अत्यंत ही प्रभावी थी। तत्पश्चात, अनूठा गायन।
ReplyDeleteप्रशंसा से परे है आपकी प्रतिभा । बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आपको।
उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय सर। सादर प्रणाम 🙏
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteउत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय सर। सादर प्रणाम 🙏
Deleteवाह!!!!
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब सृजन
गरिमा धरम की अब यहाँ बचाऊँ कैसे?
राग अनुराग का गाऊँ कैसे?
उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आदरणीया मैम। सादर प्रणाम 🙏
Deleteचर्चा मंच पर मेरी रचना को स्थान देने हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीय सर। सादर प्रणाम 🙏
ReplyDeleteपाँच लिंको के आनंद पर मेरी रचना को स्थान देने हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीया मैम। सादर प्रणाम 🙏
ReplyDeleteवाह।
ReplyDeleteउत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय सर। सादर प्रणाम 🙏
Deleteबहुत सुन्दर एवं मोहक रचना
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर सृजन, आँचल दी।
ReplyDeleteधर्म में अंधे होकर वतन रूपी आंगन में लोगों ने दरारें डाल दी है.
ReplyDeleteजिस धर्म ने अपने हर अंश में करुना,दया समझाई है हमने वो धर्म नहीं जाना.
हम अंधे होकर धर्म को रटते गये..
ऐसे अंधों के आंगन में खुशहाली कहाँ?
सटीक रचना.