बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Saturday 2 June 2018

बहरुपी कलयुग

कोई दुनिया भर के श्रृंगार तले
आइने को धोका देता है
सब रंगो में रंग कर भी
जाने किस रंग को रोता है
कोई विधवा सा सब कुछ खो कर
बिन रंगों के जीता है
फिर भी ज़िंदगी से अपनी
शिकवा नहीं कोई रखता है
कोई अंधा समझ दुनिया को
हर पल ठगी बस करता है
पर भूल गया कि कोई ऊपर से
नज़रें बस उस पर रखता है
कोई जाल बिछा कर अपनेपन का
लिलार तिलक से सजाता है
फ़िर ढोंगी वही समय देखकर
कालिख मुँह पर मल जाता है
ऐसे ही बहरूपी से लाखों
कल्युग है अपना भरा पड़ा
झूठ,लोभ और बैर कथा से
है इसके पाप का घड़ा भरा
पर डर मत तू ए बंदे तबतक
जबतक तू सच के साथ खड़ा
जो साथ निभाए दृढ़ता से सच का
भगवन का उसको साथ मिला

                              -आँचल

29 comments:

  1. सत्य सटीक कहीं बात सब नीक लगी मन को भारी
    जब सब खत्म होगा तब क्या कर लेंगे बनवारी
    समय रहते हुए यदि सत्य उजागर ना होगा
    सूखे पेड़ पानी देने से सखी री मेरी क्या होगा !

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    1. बहुत खूब कहा आपने दीदी जी
      अगर समय रहते हमने सत्य की डोर नही थामी तो पतन से बनवारी भी नही बचा पायेंगे
      अपनी मनमोहक टिप्पणी से हमारा उत्साह बढ़ाने हेतु हृदयतल से आभार प्रिय इंदिरा दीदी सादर नमन शुभ दिवस 🙇

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  2. जग हुवा बहरुपिया कैसे हो निस्तार
    खाल भेड की ओढ के बैठे धर्म के ठेके दार।

    वाह वाह आंचल बहन
    पढृ कर मजा आ गया लाजवाब रचना पुरे युग का खाका खींच दिया आपने,, लयबद्धता भी रस भी । अप्रतिम काव्य।

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    1. "जग हुवा बहरुपिया कैसे हो निस्तार
      खाल भेड की ओढ के बैठे धर्म के ठेके दार"
      वाह दीदी जी हमने अपनी पूरी कविता के ज़रिये जो कहने की कोशिश की उसे आपने बस दो पंक्तियों में ही कितनों सुंदरता से कह डाला 👌

      बस कोशिश थी की बहरूपी कलयुग का असली रूप दिखा सकूँ अपनी रचना के ज़रिये आपको पसंद आयी सार्थक हो गयी
      इस सुंदर मनमोहक टिप्पणी से हमारा उत्साह बढ़ाने हेतु हार्दिक आभार
      सादर नमन शुभ दिवस 🙇

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  3. जीवन की विसंगतियों को उभारती विचारोत्तेजक अभिव्यक्ति जो हमारे अंतर्मन में सकारात्मकता के बीज रोपती है. सुन्दर रचना. बधाई एवं शुभकामनायें.

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    1. हमारे blog पर आपका हार्दिक स्वागत है आदरणीय सर 🙇रचना को आप जैसे महान लेखक की सराहना प्राप्त होना तो सौभाग्य है रचना का। आपके द्वारा इस उत्साहवर्धक टिप्पणी और शुभकामनाओं के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
      सादर नमन शुभ दिवस 🙇

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  4. वाह! सार्थक सन्देश से ओत प्रोत कविता। बधाई और आभार!!!

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    1. आदरणीय सर हमारे blog पर आपका हार्दिक स्वागत है 🙇
      आप जैसे महान लेखक की सराहना भरी टिप्पणी रचना को प्राप्त हो ये तो सौभाग्य की बात है हमारे लिए।लिखना सार्थक हुआ। बहुत बहुत धन्यवाद आपका
      सादर नमन शुभ दिवस 🙇

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  5. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (04-06-2018) को "मत सीख यहाँ पर सिखलाओ" (चर्चा अंक-2991) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया हमे चुनने के लिए
      सादर नमन शुभ दिवस 🙇

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  6. बहुत सुंदर रचना आँचल...संदेशात्मक, विचारणीय सारगर्भित पंक्तियां है।

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    1. आदरणीया श्वेता दीदी रचना को आपने अपने सराहना भरे शब्दों से जो मान और स्नेह देकर हमारा उत्साह बढ़ाया है उसके लिए हृदयतल से आपका हार्दिक आभार 🙇
      सादर नमन शुभ दिवस 🙇

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  7. सुंदर रचना.. सत्य को उजागर करती रचना।

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    1. आपकी इस मनमोहक सराहना भरी टिप्पणी से हमारा उत्साह बढ़ाने हेतु आपका हृदयतल से हार्दिक आभार आदरणीया पम्मी जी 🙇
      सादर नमन शुभ दिवस

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  8. आदरणीया सखी यशोदा दीदी बहुत बहुत धन्यवाद हमारी रचना को चुनने के लिए
    बिलकुल आऊँगी
    सादर नमन शुभ दिवस 🙇

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  9. जय माँ हाटेशवरी🙇
    रचना को इतना मान देकर तो आपने इसे फ़र्श से अर्श पर पहुँचा दिया
    बहुत बहुत धन्यवाद आपका आदरणीय
    और हलचल में इसे पुनः स्थान देने के लिए भी हार्दिक आभार 🙇
    हम बेशक मौजूद रहेंगे
    सादर नमन शुभ दिवस 🙇

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  11. कलयुग के सत्य से परिचय कराती रचना👌

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  12. बहुत बहुत धन्यवाद अन्नु दीदी अपनी मनमोहक टिप्पणी के ज़रिये सदा हमारे विचारों का समर्थन करने के लिए और अपना स्नेह आशीष बनाए रखने के लिए
    सादर नमन शुभ दिवस 🙇

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  13. वाह ! बहुत सुंदर, सार्थक, शिक्षाप्रद रचना

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया मीना जी
      बस सब आप सब का स्नेह आशीष है
      मनमोहक टिप्पणी से उत्साह बढ़ाने हेतु पुनः आभार
      सादर नमन शुभ दिवस

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  14. वाह!!बहुत खूबसूरती के साथ सत्य को उजागर किया है आँचल जी अपने ..!!

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया शुभा जी
      बस हम तो कोशिश करते हैं अपने विचारों को पंक्तिबद्ध करने का आप सबकी सराहना इसे सफल बना देती है
      पुनः आभार
      सादर नमन शुभ दिवस

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  15. प्रिय आँचल -- तीन लिंकों की शोभा बनती हुई आपकी ये सार्थक सशक्त रचना बहुत ही सादगी के साथ अपनी बात कहती है | कलयुग की विसंगतियों पर सही लिखा आपने | सच्चाई को उजागर करना ही सच्चा कविधर्म हैं | मेरी शुभकामनाये स्वीकार हों | साथ में मेरा प्यार |

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    1. आदरणीया दीदी जी पता नही कैसे ये तीन लिंको के योग्य बन गयी वरना हमे तो लिखते वक़्त बिलकुल अंदाज़ा नही था की ये एक लिंक में भी जाने योग्य है
      सब आपका स्नेह आशीर्वाद है जो कलजुग के असल रूप को हम अपनी कविता में उतार पाए
      आपकी शुभकामनाओं के साथ आपके स्नेह आशीष के लिए हम आपके हार्दिक आभारी हैं
      सादर नमन शुभ दिवस 🙇

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  16. कविता की प्रत्येक पंक्ति में अत्यंत सुंदर भाव हैं.... संवेदनाओं से भरी बहुत सुन्दर कविता...

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय
      आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी हेतु
      सादर नमन शुभ दिवस

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  17. एक न एक दिन झूठ-फरेब का भांडा जरूर फूटता है। सबकुछ यही भोग के जाना होता है अच्छे बुरे कर्म
    बहुत अच्छी रचना

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  18. कोई जाल बिछा कर अपनेपन का
    लिलार तिलक से सजाता है
    फ़िर ढोंगी वही समय देखकर
    कालिख मुँह पर मल जाता है////
    प्रिय आँचल तुम्हारी रचना एक बार फिर से पढकर अच्छा लगा।पुराने कमेंट दिल को भावुक कर गये।खुश रहो ❤

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