बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Tuesday, 13 June 2023

यामिनी


 यामिनी तो रोज़ चाँद-तारों 

की बारात लिए आती है,

पर यह दुनिया ही उसे

देख कर मुँह बनाती है 

और नींद का बहाना कर 

आँखें मूँद लेती है।

उसके उर में छुपी ममता,

प्रेम और शीतलता को 

केवल वही समझ पाता है 

जो रात भर उसके 

साथ जागता है,

उसे आँख भर निहारता है 

और वही इस रहस्य को 

भी जानता है कि 

'यामिनी' वह विरहिणी है 

जो सत्य की पहली किरण को 

अपना सर्वस्व समर्पित करने हेतु 

रात भर अंधकार से जूझती है।


#आँचल 

5 comments:

  1. नमस्ते,

    आपकी रचना चर्चा मंच के अंक

    'चार दिनों के बाद ही, अलग हो गये द्वार' (चर्चा अंक 4668)

    में सम्मिलित की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं।

    सधन्यवाद।

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  2. खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  3. बहुत सुंदर रचना

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  4. ठीक कहा आपने। अत्यन्त प्रशंसनीय अभिव्यक्ति है यह।

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