बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Sunday 1 January 2023

बेचारा ' नव वर्ष '

पटाखों के शोर और आतिशबाज़ी के धुएँ में नहा-धोकर पधारे हमारे प्यारे 'नव वर्ष' का दम तो आते ही धर्म-मज़हब जाति,वर्ग आदि के भेद से गुलशन इस नफ़रती गुलिस्ताँ में घुटने लगा होगा रही-सही कसर अँग्रेज़ी  परिधान पहने-ओढे,विदेशी इत्र से नहाए किंतु स्वदेशी तिलक लगाए उन कर्तव्यनिष्ठ,धर्मपरायण,ज्ञानीजन पूरी करने में लगे हैं जो स्वयं तो नव वर्ष के जश्न के नाम पर मिठाइयों का भोग लगा रहे हैं,पकवानों का आनंद लेते हुए छुट्टी मना रहे हैं किंतु यदि कोई भी पथभ्रष्ट,अज्ञानी बेचारा इन्हें 'नव वर्ष की शुभकामनाएँ' प्रेषित करता है तो ये लोग उसके ज्ञान चक्षु खोलते हुए उसे 'हिंदू नव वर्ष' बोध कराते हैं।

ऐसे ज्ञानीजनों के कारण ही तो हम आज 'विश्वगुरु' की उपाधि को प्राप्त कर सके हैं।ऐसे व्यक्तियों का हम सभी को आभार मानना चाहिए और पहली जनवरी को नव वर्ष के रूप में नहीं अपितु इन लोगों के सम्मान समारोह के रूप में मनाना चाहिए।
धन्यवाद 🙏
#आँचल

1 comment: