ओ माई तेरी काजल-सी ढिबरी को राखुँ,
जाग-जाग रतियाँ में सुबह सजाऊँ ।
ओ माई तेरी.....
ओ मैली ये चदरिया! कैसे छुड़ाऊँ?
छींट पड़े नफ़रत के कैसे मिटाऊँ?
हाय रामा! हारी,हारी,मैं हारी,
धो-धो चदरिया दागी मोरी साड़ी।
माई दागी साड़ी को कैसे छुपाऊँ?
जाग-जाग रतियाँ में .....
ओ लाँघी जो देहरी तो घर कैसे जाऊँ?
अटक-अटक भटकी,डग कैसे पाऊँ?
हाय रामा! हारी,हारी,मैं हारी,
ढो-ढो धरम,करम गठरी से हारी।
माई करम गठरी अब कैसे उठाऊँ?
जाग-जाग रतियाँ में .....
ओ फूटी रे हाँडी,कैसे-क्या पकाऊँ?
भीगी रे लकड़ियाँ,ताप कैसे पाऊँ?
हाय रामा! हारी,हारी मैं,हारी,
जेब पड़ी ठंडी,आग पेट में लागी।
माई ऐसी सर्दी में जी कैसे पाऊँ?
जाग-जाग रतियाँ में.....
ओ माई तेरी काजल-सी ढिबरी को राखुँ,
जाग-जाग रतियाँ में सुबह सजाऊँ।
ओ माई तेरी.....
#आँचल
अतिसुंदर गायन
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