बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Tuesday, 11 January 2022

आज हरि मैं दर तेरे आई

 


आज हरि मैं दर तेरे आई। -2

कल इस जग के काम बहुत थे,

राग बहुत,अनुराग बहुत थे 

ता में तेरी सुध बिसराई,

आज हरि मैं दर तेरे आई।-2

हाय!कैसी विपदा आई?

विपदा जो आई सुध तेरी लाई,

सुध आई तब कीरति गाई,

आज हरि मैं दर तेरे आई।-2

#आँचल



2 comments:

  1. आंचल ! तुम्हारी निश्छल-भक्ति से हरि जी अवश्य प्रसन्न होंगे और तुम्हारे सभी मनोकामनाएँ पूरी करेंगे.

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  2. बहुत सुन्दर रचना

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