बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए
कल इस जग के काम बहुत थे,
राग बहुत,अनुराग बहुत थे
ता में तेरी सुध बिसराई,
आज हरि मैं दर तेरे आई।-2
हाय!कैसी विपदा आई?
विपदा जो आई सुध तेरी लाई,
सुध आई तब कीरति गाई,
#आँचल
आंचल ! तुम्हारी निश्छल-भक्ति से हरि जी अवश्य प्रसन्न होंगे और तुम्हारे सभी मनोकामनाएँ पूरी करेंगे.
बहुत सुन्दर रचना
आंचल ! तुम्हारी निश्छल-भक्ति से हरि जी अवश्य प्रसन्न होंगे और तुम्हारे सभी मनोकामनाएँ पूरी करेंगे.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
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