बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Tuesday 16 March 2021

नज़र हटी दुर्घटना घटी

 

अरुण थकाहारा ऑफिस से घर लौटता है और सोफे पर धम्म से बैठते हुए बोलता है - " रति खाना लगाओ जल्दी,बहुत भूख लगी है और ये ए. सी. क्यों बंद है? इतनी गर्मी है बाहर। " 

"भूख से तो मेरी भी जान निकल रही पर खाना अबतक बना नही है।" रति ए. सी. ऑन करते हुए बोलती है।

" नही बना! पर क्यों?"

" वो धनिया आज खाना बनाने आई नही।"

"पर क्यों?"

"अभी फोन आया था, सड़क दुर्घटना में उसका पति....।"

"ओह!"

" तो अब खाने का क्या?"

" एक काम करो, तुम तैयार हो जाओ आज बाहर खाने चलते हैं।" यह सुनते ही रति के चेहरे पर चमक आ जाती है और वह फूर्ती से अंदर तैयार होने जाती है ।

दोनों अपनी कार में बैठते हैं,अरुण चाभी घुमाते हुए पूछता है - 

" धनिया तो अब कुछ दिन तक आएगी नही..... तो खाने का कैसे मैनेज करोगी?"

"पड़ोस वाली रोमा आंटी से बात की है,उनके यहाँ भी एक खाना बनाने वाली आती है। " 

" पता नही कैसे लापरवाह लोग होते हैं जो सड़क पर गाड़ी को हवाई जहाज की तरह चलाते हैं? यह भी नही सोचते कि उनकी लापरवाही कितनों पर भारी पड़ेगी।"  रति धनिया के लिए कुछ परेशान होते हुए बोलती है। अरुण रति की बात से हामी भरते हुए बोलता है -

" हाँ कुछ लोगों की लापरवाही और कुछ  यमराज के रूप में पधारे ' स्मार्ट फोन ' की रहमत है। ज़रा सी नज़र हटी नही कि दुर्घटना घटी।" 

" तुम धनिया की तनख़्वाह मत काटना और हो सके तो इस महीने से कुछ बढ़ाकर देंगे। पता नही अब अकेले तीन बच्चों को कैसे संभालेगी?" अरुण गाड़ी का म्यूज़िक ऑन करते हुए बोलता है।

तभी रति भूख से छटपटाती हुई बोलती है -

" जल्दी चलाओ अरुण, आज ऑफिस में भी कुछ खाने का टाइम नही मिला।"

" चला तो रहा हूँ, अब गाड़ी है हवाई जहाज तो नही। ऊपर से इतना ट्रैफिक!"

अरुण ट्रैफिक पर खीझते हुए बोलता है कि तभी उसे एक विडियो कॉल आता है। अरुण कॉल लेता है कि तभी एक ज़ोर की आवाज़ आती है। यमराज अपने काम को अंजाम देते हैं और अगले दिन के अख़बार में सड़क दुर्घटना की एक और खबर छप जाती है।

#आँचल 

13 comments:

  1. बहुत बहुत सुन्दर

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  2. ज्ञान बांटते तो सब है अपनाते नहीं,मार्मिक मगर शिक्षाप्रद कहानी प्रिय आँचल

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  3. इसका कारण है कि सब सोचते हैं कि उनके साथ ऐसा कभी नहीं होगा जो औरों के साथ हुआ है। संदेश परक कथा प्रिय आँचल। हार्दिक शुभकामनाएं।

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  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2071...मिले जो नेह की गिनती, दहाई पर अटक जाए। ) पर गुरुवार 18 मार्च 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  5. यमराज अपने काम को अंजाम देते हैं
    सादर..

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  6. प्रेरक लघु कथा .... दूसरों को उपदेश देना या उनकी गलती निकालना सरल है ...

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  7. संदेशपरक लघुकथा।

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  8. सुंदर सन्देश देती लघुकथा, आँचल दी।

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  9. आजकल के समय पर खरी उतरती आप की कहानी ।

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  10. सावधानी हटी, दुर्घटना घटी।।।।
    पर यह कहावत हम खुद पर ही लागू करना भूल जाते हैं।
    आपने एक सशक्त कथा के माध्यम से यह बात बखूबी तरीके से कह दी है।
    आपमें एक सक्षम लेखिका के समस्त गुण हैं। शुभकामनाओं सहित बधाई। ।।।।

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  11. आदरणीया मैम,
    बहुत ही सटीक और मार्मिक रचना जो एक समसामयिक परिस्थिति को दर्शाती है। जब भी कोई दुर्घटना होती है तो हम नियम और कानून पालन करने का उपदेश सुनाने लगते हैं पर सुरक्षा के वही नियम खुद नहीं मानते । भारत में विशेष कर छोत- छोटी बातों के लिए बहुत से सुरक्षा नियमों के साथ खिलवाड़ होता है । समय पर दफ्तर पहुंचमे के लिए गाड़ी तेज चलाएंगे या भरी हुई लोकल ट्रेन में लटक कर यात्रा करेंगे पर इससे अपनी ही जान पर आने वाला खतरा हमें नजर नहीं आता । हार्दिक आभार इस सशक्त संदेश देती हुई कहानी के लिए। एक बात और, मैं एक कॉलेज छात्रा हूँ और मैं ने पिछले साल ही अपना ब्लॉग खोल है । आपसे अनुरोध है कृपया मेरे ब्लॉग पर भी आयें , आपके प्रोत्साहन के लिए आभारी रहूँगी । हार्दिक आभार इस रचना के लिए भी और मेरी बात को अपना समय देने के लिए भी।

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  12. सार्थक और संदेशपरक!

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