बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Saturday, 24 March 2018

इन्कलाब ज़िंदाबाद ✊


इन्कलाब ज़िंदाबाद ✊


हम चीख कर गीत ये गायेंगे
इन्कलाब ज़िंदाबाद
सींघो सी दहाड़ लगायेंगे
इन्कलाब ज़िंदाबाद
दुश्मन का शीश झुकायेंगे
इन्क्लाब ज़िंदाबाद
मुश्किल से ना घबरायेंगे
इन्कलाब ज़िंदाबाद
माटी की शान बढ़ायेंगे
इन्कलाब ज़िंदाबाद
मौत के खौफ हरायेंगे
इन्कलाब ज़िंदाबाद
कुर्बानी भी अपनाएंगे
इन्कलाब ज़िंदाबाद
दुष्टों का लहू बहाएन्गे
इन्कलाब ज़िंदाबाद
दुश्मन का दिल दहलायेंगे
इन्कलाब ज़िंदाबाद
सीना तान के फ़िर चिल्लायेंगे
इन्कलाब ज़िंदाबाद
इन्कलाब ज़िंदाबाद
इन्कलाब ज़िंदाबाद
इन्कलाब ज़िंदाबाद
✊✊✊✊✊
                              #आँचल

6 comments:

  1. वाह बेटा.... ऊर्जा से ओत प्रोत...
    युवाओं में जोश जगाने में सार्थक रहेगी ये कविता

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  2. वाह ओजमय तेजोमय रचना।

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  3. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति :)

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    1. अति आभार सुप्रभात

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