वो कभी प्रेम से चूमे गए,
कभी आँसुओं में भीगे ख़त ,
वो सूखे गुलाब जिनमें
ताज़ा है इश्क की महक,
वो तुम्हारे साथ खिंचवाई तस्वीरें
वो नोक-झोक,वो दलीलें,
वो तुमसे रूठ के जाना
और तेरा आकर मनाना,
वो हाथों में हाथ थाम
मीलों टहलना,
वो तेरे फोन के इंतज़ार में
दिनभर तड़पना,
और छुपकर तुमसे
सारी रात बतियाना,
वो मेरी नादानियों पर
तुम्हारा भड़कना,
परवाह में मेरी रातों को जगना,
वो कंधे पर तेरे
मेरा सर रखकर सोना,
ये कुछ भी तो नही
मेरे पास ओ कान्हा,
है फिर भी ये कैसी लगन तुमसे कान्हा?
है फिर भी ये कैसी लगन तुमसे कान्हा?
#आँचल