Monday, 4 May 2020

मयूरा के भाग वंशी की तान!


वेणु की सुन कर पुकार,
गोपिन सब सुध-बुध गयीं हार,
गड़ - गड़ मेघों की मिली ताल,
चित मयूरा पर हरि गये हार,
हाय! गोपिन के मन में डाह,
मयूरा के भाग वंशी की तान!
छलिया के छल को गयीं जान,
संग राधा गोपिन सब रचे स्वाँग,
छम - छम मयूरा संग हुई मयूर,
नाचे राधा? नाचे मयूर?
अचरज में हाय! पड़ गये श्याम,
मोहे राधा जब आठों याम!
तब माया-मयूर ने लिया जान 
कोटिशः वंदन,कोटिशः प्रणाम,
आगे जिनके झुकते हैं श्याम,
राधा से ही भक्ति और ज्ञान।
#आँचल 

13 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना

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  2. वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर मनोहर लाजवाब सृजन।

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  3. बहुत ही सुंदर सृजन.

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  4. मन मयूर और माया मयूर की कल्पना अद्भुत है। बहुत सुन्दर विम्ब की रचना। हार्दिक साधुवाद !--ब्रजेन्द्र नाथ

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  5. वाह!प्रिय आँचल ,बेहतरीन रचना!

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  6. वाह्ह..बहुत सुंदर राधेश्याम भक्ति और प्रेम का अनूठा उदाहरण है।
    बहुत सुंदर रचना आँचल।

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  7. भक्ति और प्रेम रस से भरपूर सुंदर सृजन प्रिय आँचल

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  8. बहुत सुंदर रचना,आँचल।

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  9. वाह बहुत सुंदर प्रिय आँचल रहस्यवाद दी अभिनव रचना ।
    सुंदर।

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  11. बहुत सुंदर प्रस्तुति👌👌👌

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