Saturday, 1 January 2022

खीर

लिए कटोरी हाथ में 
मन ऐसो सुख पाए,
जैसे तन बैकुंठ में 
आनंद के गुण गाए,
एक चम्मच जो खीर की 
मुँह में मेरे घुल जाए,
मोह-माया सब त्याग के 
हम शंकर सम डमरू बजायें,
धन्य-धन्य बड़ भाग मनुज के 
देवगण पछताए,
दिन भर हरि का नाम भजें 
और खीर प्रसादी पायें।
#आँचल ( खीर प्रेमी 😍)

2 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (03-01-2022 ) को 'नेह-नीर से सिंचित कर लो,आयेगी बहार गुलशन में' (चर्चा अंक 4298) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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