कोई ललित छंद मैं सुनाऊँ कैसे?
राग अनुराग का गाऊँ कैसे?-2
आँगन पड़ी दरार है,
बँटता मेरा परिवार है,
झूठी धरम की रार है,
कैसा ये व्याभिचार है!
तम कर रहा अधिकार है,
बुझने लगी मशाल है,
सत की मशालों को पुनः जलाऊँ कैसे?
राग अनुराग का गाऊँ कैसे?
कोई ललित छंद मैं सुनाऊँ कैसे?
राग अनुराग का गाऊँ कैसे?
आँगन मेरे विषाद है,
प्रीतिवियोग शाप है,
कोई अधमरी सी लाश है,
मानवता जिसका नाम है,
करुणा थी जिसकी प्रेयसी,
रण में धरम के चल बसी,
उस प्रेयसी को अब यहाँ बुलाऊँ कैसे?
राग अनुराग का गाऊँ कैसे?
कोई ललित छंद मैं सुनाऊँ कैसे?
राग अनुराग का गाऊँ कैसे?
आँगन बिछी बिसात है,
शकुनी की दोहरी चाल है,
लगी दाँव पर जो मात है,
बेटों की ये सौगात है,
भटके वतन के लाल हैं,
निश्चित धरम की मात है,
गरिमा धरम की अब यहाँ बचाऊँ कैसे?
राग अनुराग का गाऊँ कैसे?
कोई ललित छंद मैं सुनाऊँ कैसे?
राग अनुराग का गाऊँ कैसे?
#आँचल