Wednesday, 18 September 2019

अभावों का भाव



रिश्तों की डोर वो क्या जाने
जिसने बिखरे रिश्तों को नही देखा
यारों का शोर वो क्या जाने
जिसने सूनी शामों को नही देखा
नही देखी हो जिसने रातें जागकर
वो दीदार सुबह का क्या जाने
क्या जाने वो जश्न जीत का
कभी हार को जिसने नही देखा
नही देखा जिसने माँ का आँचल
फटकार पिता की नही देखा
क्या होते हैं माँ-बाप वो जाने
जिसने हाथ सिर पर इनका नही देखा
नही देखे जिसने खेल खिलौने
बचपन का मोल वही जाने
एक रोटी का मोल वो क्या जाने
कभी खाली थाली को जिसने नही देखा
अभावों के भाव वो क्या जाने
अभावों को जिसने कभी नही देखा
हर भाव जीवन का वही जाने
अभाव को जिसने कभी है देखा
#आँचल 

17 comments:

  1. मुखरित मौन में साझा होना तो मेरी रचना का सौभाग्य है
    हार्दिक आभार आदरणीया
    सादर नमन

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  2. मेरी रचना को चर्चा मंच के योग्य समझने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सर
    सादर नमन

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  3. बहुत सुंदर अभावों का भाव..प्रिय आँचल।

    जीवन की कमियों को वही समझ सकता है जिसने उन कमियों को जीया है... मर्म समझाती सहज और सरल अभिव्यक्ति।
    आपकी आवाज़ बहुत मीठी है। काव्य पाठ बहुत मधुर लगता है।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया दीदी जी।पंक्तियों में निहित भाव को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करती आपकी सुंदर प्रतिक्रिया ने रचना का मान और मेरा उत्साह खूब बढ़ा दिया है। आवाज़ तो आपकी भी शहद सी मीठी है।
      अपना नेह आशीष यूँ ही हम पर बनाए रखाइएगा दी।
      सादर नमन शुभ रात्रि

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  4. अभाव के भाव वही समझ सकते हैं जिन्होंने अभाव को देखा है जो जानते हैं अभाव से क्या होता है... मनुष्य जीवन में अभाव से आने वाले उतार-चढ़ाव की बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति आपने दी है उतनी ही खूबसूरत आपकी आवाज है एक ठहराव है हर शब्द के बाद जो की गहराई तक चली जाती है आशा करती हूं ऐसी प्रस्तुतियां आप आगे भी देती रहेंगे धन्यवाद

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    1. आदरणीया दीदी जी रचना के मर्म को समझाती आपकी सुंदर प्रतिक्रिया ने मेरी पंक्तियों की शोभा बढ़ा दी। मेरी आवाज़ आपको पसंद आयी ये तो सौभाग्य है मेरा। उत्साहवर्धन करते आपके नेह आशीष युक्त वचनों के लिए हृदयतल से हार्दिक आभार।
      सादर नमन शुभ रात्रि

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  5. Replies
    1. Thank you so much ma'am for your kind words it means alot to me.
      Good night sweet dreams.

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  6. बहुत सुंदर रचना
    सुरीली आवाज़, शुद्ध उच्चारण।


    पधारें अंदाजे-बयाँ कोई और

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    1. उत्साहवर्धन करते शब्द हेतु हार्दिक आभार आदरणीय
      सादर नमन

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  7. सच कहा आंचल आपने बिन अभाव के कोई भी वस्तु या रिश्तों का मोल नहीं समझ सकता ।
    बहुत सुंदर ढंग से अपने अभाव का हर दृष्टिकोण से विवेचन किया ।
    सुंदर रचना सार्थकता लिए सुंदर काव्य प्रवाह।

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    1. प्रस्तुति भी शानदार,गहरा ठहराव लिए सुंदर काव्य पाठ।

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    2. ओह...आदरणीया दीदी जी आपके सुंदर शब्दों के लिए बहुत बहुत आभार। हमने तो बस छोटा सा प्रयास किया था जिसे आपकी प्यारी सी प्रतिक्रिया ने सार्थक कर दिया।
      सादर नमन शुभ रात्रि

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  9. सोचने को मजबूर करती हैं ये बातें ... बहुत सार्थक लिखा है ...

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  10. बहुत सुंदर ढंग से विवेचन किया ।

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