कभी तो वो सावन भी आएगा
संदेसा हरि का जो संग लाएगा,
कभी तो ये बदरा से झरते मोती
दिखायेंगे उसकी श्यामल ज्योति,
कभी तो ये व्याकुल चित् भी मोरा
नाचेगा जैसे नाचे ये मयूरा,
कभी तो मिलन की वो रुत आएगी
जब विरह में तपती धरा भीगेगी
और भावों से नीरस हृदय भी मोरा
प्रेम की बरखा में भीगेगा पूरा
आयेंगे तब वो प्रेम-बिहारी
चरण-रज में जिनके रमा मन सखी री,
चरण-रज में जिनके रमा मन सखी री।
#आँचल
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