Sunday, 24 April 2022

पात्र या दर्शक?


नाटकों के पात्र हैं हम सब,

नही किसी पात्र के दर्शक,

हमारा कर्म है अभिनय,

हमारा धर्म है अभिनय,

हमारे कर्म का,सत्कर्म का,

नीयत,नीतितत्व का एक मात्र वह दर्शक,

जिसको रिझाने के लिए उसने चुना हमको,

हम भूलकर उसको

कहें हर पात्र को दर्शक!

#आँचल