Tuesday, 28 December 2021

लीलाधर मुस्कावे रे

 


पट-पीतांबर,अधर मनोहर 

मधुर-मधुर मुरलिया बाजे,

गल बैजंती माला राजे,

मोर-मुकुट,छलिया,घनश्यामा

बृजवासिन को चैन चुरावे,

गाए-गाए गुण ग्वाल सब झूमे,

ग्वालिन भोग ख्वावे रे,

धेनु उड़ावे धूरी घन-घन पर,

सुरवर बहुत पछतावे रे,

देखि दशा अस सुरजन की 

लीलाधर मुस्कावे रे।

#आँचल

6 comments:

  1. कृष्णमयी सुंदर प्रस्तुति ।।

    ReplyDelete
    Replies
    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आदरणीया मैम। सादर प्रणाम 🙏

      Delete
  2. वाह!,खूबसूरत सृजन ।

    ReplyDelete
  3. पट-पीतांबर,अधर मनोहर

    मधुर-मधुर मुरलिया बाजे,

    गल बैजंती माला राजे,

    मोर-मुकुट,छलिया,घनश्यामा
    वाह!!!
    बहुत ही सुंदर मनोहर...

    ReplyDelete
  4. कृष्ण कन्हैया का बहुत सुंदर मोहक वर्णन ।

    ReplyDelete