Wednesday, 5 May 2021

तू-तू मैं-मैं

 


एक रोटी के लिए दो बिल्लियों के बीच घमासान हो गया। पहली बोली -

"यह मेरी रोटी है। "

तो दूसरी भी बोली - " नही यह मेरी रोटी है। "

पहली ने कहा -" पहले मैंने देखा इसे। "

तो दूसरी ने भी कहा -"पहले मैंने उठाया इसे।"

"इसे मैं खाऊँगी।"

"नही मैं खाऊँगी।"

"कहा ना मैं खाऊँगी।"

" अच्छा! तू खाकर तो दिखा मैं तेरे कान नोच लूँगी।"

यह सुनकर पहली बिल्ली चिढ़ गई और दूसरी बिल्ली से रोटी छीन कर भागी। दूसरी भी उसके पीछे भागी और उसपर झपट पड़ी। 

.... और फिर से दोनों के बीच रोटी को लेकर महासंग्राम छिड़ गया कि तभी पास की गली से कुछ शोर सुनाई दिया। दो औरतें मंदिर के बाहर छोड़ी हुई चप्पल को लेकर आपस में झगड़ रही थीं।

पहली बोली - " यह मेरी चप्पल है।"

दूसरी ने कहा - " तेरी कैसे हुई? यह मेरी है। देख मेरे नाप की है "

पहली ने चिढ़ते हुए कहा - " आहा! तेरी चप्पल? इस चप्पल को देख और खुद को देख..... बड़ी आई...।" तभी दूसरी और भड़क कर  चप्पल छीनते हुए बोली - " पहले तू देख कर आ खुद को, न शक्ल न सूरत बड़ी आयी मेरी चप्पल लेने।"

..... और देखते ही देखते झगड़ा हाथापाई में बदल गया। यह दृश्य देख हैरान होती पहली बिल्ली बोली - " यार ये दोनों बिल्लियाँ हमारी नकल तो नही उतार रही?"

तो दूसरी बिल्ली अपने पंजे से अपनी मूँछों को ताव देते हुए बोली - " अरे नही यार, बस कुछ लोग कभी-कभी तेरा-मेरा और तू-तू मैं -मैं के चक्कर में इंसान और  जानवर का फर्क भूल जाते हैं।"

" खैर... तू ये सब छोड़, चल हम अपनी रोटी बाँटकर खाते हैं।"

" हाँ चल, यहाँ ज़्यादा रुके तो हम भी इनके जैसे बन जायेंगे। "

#आँचल 


4 comments:

  1. आँचल, सही कहा आपने। आजकल इंसान जानवर से भी ज्यादा झगड़ने लगे है। सुंदर रचना।

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  2. बहुत ख़ूब आँचल !
    रोटी हो तो इन्सान शायद बाँट कर खा ले लेकिन जब बात कुर्सी की आती है तो उस पर हर कोई पूरा हक़ ही चाहता है और फिर उसके लिए आपस में कुत्ते-बिल्ली की लड़ाई को भी मात देने लगता है.

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  3. वाह! क्या उदाहरण प्रस्तुत किया है आपने। वाकई बेहतरीन।
    हम इंसान है इसका सदैव ख्याल रखना चाहिए....हमारा व्यवहार ही हमे अन्य जीवों से महान बनाती है। इतना बहुमूल्य जीवन हम तुच्छ हरकतों में व्यर्थ करते है...इसकी सार्थकता समझना आवश्यक है....और यह आपकी लेख/कहानी बखूबी सीखा रही है।

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