Saturday, 31 October 2020

शाही दावत का न्योता

 


https://youtu.be/c0jPEvMUDWA

आओ बच्चों सुनो कहानी,

शेर खान की हो रही शादी!

डुगडुगी बजाकर भालू ने 

शाही संदेश सुनाया है,

शाही दावत का न्योता 

राजा ने सबको भेजवाया है।

होंगे दावत में शाही पकवान,

केसर-कुल्फी,बंगाली मिष्ठान,

चाट,कचौड़ी,चटनी तीखी,

दही- बड़े और रबड़ी मीठी।

सुनकर यह संदेश सभी के 

मुँह में पानी आया है,

बिन कुछ सोचे-समझे सबने 

तत्क्षण न्योता स्वीकारा है।

पर वही खड़ा एक नटखट बंदर 

समझ गया था चाल सब झटपट,

न्योते के पीछे राजा ने 

कुछ तो जाल बिछाया है,

मत स्वीकार करो यह न्योता 

बंदर ने सबको चेताया है।

पर लालच ने हर ली थी 

कुछ ऐसे सबकी बुद्धि,

लाख जतन करके भी 

बंदर से ना सुलझी गुत्थी।

अब बंदर की सब बात भुलाकर 

शादी में चले सब बनठन कर,

जो पहुँचे सब शादी में तो 

न मंडप था न कोई वर था,

चारों ओर शेरों का जमघट 

और प्राणों पर संकट था।

न मानी क्यों बात बंदर की?

सब लाख बार पछताए,

लालच का फल पाकर 

सब घबराए-चिल्लाए।

सुनकर सबका शोर विकट 

बंदर जो था सतत सजग 

तत्क्षण आया चिल्लाकर

सब भागो प्राण बचाकर,

मोटे-तगड़े,मूँछों वाले

चार अहेरी आए हैं,

जो घूम रहे हैं जंगल में 

संग ढेरों हथियार लाए हैं।

बोल रहा था उनमें से एक कि 

अबतक चार को मारा है,

अबकी बार तो दस शेरों पर 

हमको घात लगाना है। 

बस इतना कहकर बंदर ने 

जो शेरों को भरमाया,

छोटी सी युक्ति के आगे 

शेरों का सर चकराया।

काँप गए सब थर-थर ऐसे 

भागे प्राण बचाकर,

इसीलिए कहते हैं बच्चों 

भुगतोगे लालच में आकर।


#आँचल 

Sunday, 18 October 2020

भाग्य का जो चढ़ा दिवाकर

 

अब खो गए वो जगमग तारे,

अंधेरी रातें बीती जिनके सहारे,

है भाग्य का जो चढ़ा दिवाकर,

डोलते- फिरते हैं भंवरे सारे।


क्या हुए वो पत्थर सब एक किनारे?

मैं बढ़ा था जिनकी ठोकर के सहारे,

अब राह में मेरे फूल बिछाकर 

कर रहें हैं स्वागत किस स्वार्थ के मारे?


आगे फैले थे जिनके कल हाथ हमारे,

आज खड़े हैं आकर वो द्वार हमारे।

जो देखा पलभर को पीछे मुड़कर,

पाया फिर खुद को हाथ पसारे।


#आँचल