भव सागर जो पार करे,
भक्ति वो पतवार बने।
बस राम नाम का बलधारे,
हनुमत सागर को पार करें।
जो धर्मशील हो धीर धरे,
बल,बुद्धि उसके साथ खड़े।
यह भेद राम का जान गए,
सो ही प्रभु के तुम दास बने।
अब मूरत में भगवान खड़े,
अंतर में रावण राज करे।
श्री राम चरित सब भूल रहे,
फिर झूठी माला क्यों फेर रहे?
सुनो विनती हे राम दुलारे,
हरो कुमति,सुमति जग व्यापे।
भीतर दंभी जो रावण राजे,
लंका दहन देख कर काँपे।
तब परमधर्म परहित को जाने,
सकल चरित राम हो जाए।
#आँचल
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 09 अप्रैल 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
पाँच लिंको के आनंद पर मेरी पंक्तियों को स्थान देकर मेरा उत्साह बढ़ाने हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीय सर। सादर प्रणाम
Deleteभव सागर जो पार करे,
ReplyDeleteभक्ति वो पतवार बने।
बस राम नाम का बलधारे,
हनुमत सागर को पार करें।
....जय श्री हनुमंत ...जय श्री राम।
सुंदर पंक्तियों व प्रभु-भाव मे लिपटी इस रचना हेतु आप बधाई की पात्र हैं । बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया।
उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीय सर। सादर प्रणाम 🙏
Deleteकितनी पावन भावनाएँँ हैं प्रिय आँचल।
ReplyDeleteकाश कि हम राम को समझ पाते फिर राम के चरित्र का अनुसरण करते उनके द्वारा प्रेषित ऊँच-नीच,भेद-भाव से परे उच्च मानवीय आदर्श को धर्म मानते।
चंद पंक्तियाँ मेरी तुम्हारी रचना के लिए-
मज़हब का जो सार न समझे
भक्त कहलाये प्यार न समझे
ना समझेे मनु और मानवता
वो प्रभु,धर्म का तार क्या समझे?
अति सुंदर सृजन।
वाह्ह्ह!
Deleteआदरणीया दीदी जी सादर प्रणाम 🙏
क्या खूब कहा आपने। आपने तो वह कह दिया जो हम कहना चाह रहे थे किंतु ना कह पाए। आपकी पंक्तियों ने मेरी रचना के भाव पूर्ण कर दिए। बेहद शुक्रिया दीदी साझा करने हेतु। उचित कहा आपने आज यदि हम राम को समझ लेते तो बात कुछ और होती। साभार सादर प्रणाम 🙏
सुंदर रचना.
ReplyDeleteनयी रचना- एक भी दुकां नहीं थोड़े से कर्जे के लिए
उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीय सर। सादर प्रणाम 🙏
Deleteबहुत सुंदर। भगवान के सच्चे भक्त को दूसरे का दोष देखने को अवकाश कहाँ!उसके लिए तो सब कुछ राम मय है।
ReplyDeleteउचित कहा आपने आदरणीय सर। उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। सादर प्रणाम 🙏
Deleteभगवांन की भक्ति में जिसने स्वयम को समर्पित कर दिया एसे भक्त को भक्ति के सिवाय और कुछ नही दिखता l बहुत सुन्दर भक्ति भाव से युक्त रचना
ReplyDeleteएक अंश भी राम ह्जो जाये तो मन निर्मल हो जाये ... अंतस का रावण स्वतः मर जाये ...
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण रचना ...
बहुत खूब प्रिय आँचल 👌👌👌👌 छद्म भक्त राम नाम जपकर रावण सा आचरण कर रहे तो उनका राम ही मालिक है। जय श्री राम 🙏🙏
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