Monday, 4 November 2019

कौआ जी और तोता जी




छत पर बैठे थे कौआ जी 
और कमरा छत का खुला हुआ
जी कौआ जी का डोल गया 
भीतर चुपके से प्रवेश हुआ   
जो देखा भीतर कोई नही 
तो मस्ती थोड़ी सूझ गयी 
इधर उधर गर्दन मटकाते 
फुदक फुदक कर कमरा नापें 
सामानों पर चोंच को मारें  
पंखे पर झूलें,धूम मचायें
दर्पण में देख देख इतरायें 
ज़ोर से गाए काँए काँए 
तभी पिंजरे से बोले तोता जी 
चुप करिए काले कौआ जी 
क्यू इतना चिल्लाते हैं
बेसुरा कितना गाते हैं
रंग आपका काला कितना 
क्या इस पर इतराना इतना 
देखिए मुझे मैं हरा भरा 
सुंदर कितना दिखता हूँ 
मिर्ची जो रोज़ मैं खाता हूँ 
मिट्ठू मिट्ठू गाता हूँ 
कुछ रुक कर बोले कौआ जी 
हे प्यारे तोता भइया जी 
आप होकर सुंदर पिंजरे में बैठे 
मैं मस्त गगन में उड़ता हूँ 
सच है सुर मेरा बहुत बुरा 
पर गीत खुशी के गाता हूँ 
हूँ काला पर दिलवाला हूँ 
इसीलिए इतराता हूँ 
यूँ कह दो चोंच पिंजरे पर मारे
तो तोता जी आज़ाद हुए 
करो क्षमा हे कौआ भइया जी 
हम तो कितने नादान रहे 
रूप,रंग के चक्कर में 
मन की सुंदरता भूल गये 
तो हँस कर बोले कौआ जी 
भूलिए भूल को भइया जी 
अब प्रेम से दोनों गले लगें
और आसमान में फूर्र उड़े 
#आँचल 

19 comments:

  1. वाह!!प्रिय आँचल ,बहुत प्यारी कविता लिखी आपने बच्चों के लिए ..।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपकी इस प्यारी सी टिप्पणी ने मन में जो उत्साह बढ़ाया है उस हेतु खूब आभार आदरणीया दीदी जी। सादर नमन सुप्रभात 🙏

      Delete
  2. सही कहा रूप रंग के चक्कर में कभी नहीं पड़ना चाहिए ...पिंजरे में कैद सुंदरता किस काम की. बहुत अंतराल के बाद तुमने प्रस्तुति डाली है पर देर से ही सही बहुत कमाल की रचना तुमने लिख डाली ...मानवीय सोचो का सुंदर मानवीकरण करती सार्थक रचना

    ReplyDelete
    Replies
    1. मेरी रचना का सार प्रस्तुत करती आपकी इस प्यारी सी टिप्पणी हेतु हृदयतल से हार्दिक आभार आदरणीया दीदी जी।
      दरसल इधर थोड़ी व्यस्तता ज्य्दा है तो ना ज्य्दा आप लोगों को पढ़ पा रहे ना ज्य्दा लिख पा रहे। पर फिर भी प्रयास करूँगी कि निरंतरता बनी रहे।
      उत्साहवर्धन हेतु पुनः आभार 🙏सादर नमन सुप्रभात।

      Delete
  3. रूप,रंग के चक्कर में
    मन की सुंदरता भूल गये .... वाह! पूरी कविता ने बड़ी सरलता से जीवन के एक अद्भुत दर्शन को बाँच दिया है। बधाई और आभार।

    ReplyDelete
    Replies
    1. मेरे इस छोटे से प्रयास पर आपकी ये प्रतिक्रिया आशीर्वाद तुल्य है आदरणीय सर। हार्दिक आभार आपका। सादर नमन सुप्रभात 🙏

      Delete
  4. वाह प्रिय आंचल बहुत सरस सहज सुंदर सृजन ।
    बच्चों के लिए सुंदर मनोरंजक प्रस्तुति और बड़ों के लिए सीख देती रचना ।
    सस्नेह।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीया दीदी जी आपकी नेह युक्त सुंदर प्रतिक्रिया हेतु हम और हमारी पंक्तियाँ सदैव लालायित रहते हैं। उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आपका।
      सादर नमन सुप्रभात 🙏

      Delete
  5. वाह क्या सुंदर लिखा आँचल।
    बाल साहित्य की पठनीय और ज्ञानवर्धक सामग्री विरल होती उपलब्धता में आपका यह सृजन बेहद बहुमूल्य है।
    सराहनीय संदेशात्मक रचना के लिए बधाई।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपको मेरी पंक्तियाँ पसंद आयी बस मेरा प्रयास सार्थक हुआ। आपकी सुंदर प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार आदरणीया दीदी जी 🙏
      आज बाल साहित्य ना केवल बच्चों की अपितु साहित्यकारों की भी दूरी बढ़ गयी है बस उसी दूरी को घटाने की ओर ये मेरा प्रथम प्रयास है पर अच्छी बात यह है कि अब बहुत से साहित्यकारों ने बाल साहित्य के महत्व को समझते हुए उसे पुनः उठाने के कई सार्थक प्रयास आरंभ कर दिए हैं जिसका शुभ परिणाम हमे जल्द मिलेगा।
      पुनः आभार आपका दीदी जी। सादर नमन सुप्रभात 🙏

      Delete
  6. चर्चा मंच पर स्थान देने हेतु हार्दिक आभार आदरणीय सर।
    सादर नमन सुप्रभात 🙏

    ReplyDelete
  7. नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 07 नवंबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. पाँच लिंको के आनंद पर स्थान प्राप्त करना तो मेरी पंक्तियों का सौभाग्य होगा। आदरणीय सर बेहद शुक्रिया हम निश्चित ही उपस्थित रहेंगे।
      सादर नमन सुप्रभात 🙏

      Delete
  8. वाह! क्या लेखनी है। अद्भुत। लयबद्ध तरिके से और पढते वक्त मुख पे एक मुस्कान के साथ बहुत बढ़िया सीख सिखाया आपने।

    ReplyDelete
    Replies
    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय शाह जी।सादर नमन सुप्रभात 🙏

      Delete
  9. रूप रंग बहुत छोटी चीजें हैं जिसको देख के इतराना और खुश होना नासमझी है।मन साफ और स्वतंत्र हो खुशी अंदर से झलकती है।
    सुंदर कविता के माध्यम से बहुत उचित सन्देश।

    मेरी नई पोस्ट पर स्वागत है👉👉 जागृत आँख 

    ReplyDelete
    Replies
    1. उत्साहवर्धन करते हुए एक उत्तम संदेश देती आपकी सुंदर प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार आदरणीय सर। आपकी नई पोस्ट के लिए ढेरों शुभकामनाएँ हम निश्चित ही उपस्थित रहेंगे।सादर नमन सुप्रभात 🙏

      Delete
  10. हे प्यारे तोता भइया जी
    आप होकर सुंदर पिंजरे में बैठे
    मैं मस्त गगन में उड़ता हूँ
    सच है सुर मेरा बहुत बुरा
    पर गीत खुशी के गाता हूँ

    बड़े ही भोलेपन से आपने जीवन की सच्ची सीख दे दी ,सुंदर भाव और सच्ची सीख देती बेहद प्यारी रचना आँचल जी

    ReplyDelete
    Replies
    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आदरणीया मैम।सादर नमन सुप्रभात 🙏

      Delete