Sunday, 10 February 2019

सरस्वती वंदना


पुलकित पल्लव,सुरभित मुकुल,
कुमुद,खग कलरव करत वंदना
सोम,मुकुंदा,शिव,गंग,सविता
पद विमला की करत अर्चना
नृत राग,रागिनी,भू,नभ,उदधि,
कोपल,बाली करे रंजना
हे वाग्देवी हे ज्ञान की सरिता
ललित,निरंजन,शक्ति स्वरूपा
तुम्ही ज्योत्सना करती तम भंजन
हर लो विकार कर दो मन कंचन
ऋद्धि,सिद्धि,सुर,गुण तुम ज्योति
काम,क्रोध मोह,लोभ को हरती
तुम शतरूपा,शारदा,सुवासिनी
पद्माक्षी,मालिनी,सौदामिनी
शुभ,मंगल की तुम माँ द्योतक
पाप,दोष हर लो तुम मोचक
नव उत्थान वर दो वरदायनी
भव बंधन मुक्त करो मोक्षदायनी
ऋतु बसंत सुंदर तिथि पंचम
ओढे पीत चुनरिया खेत लगे दुल्हन
करे नमन तुम्हे धरती का कण कण
स्वीकार करो माँ मेरा भी वंदन
       जय माँ सरस्वती
#आँचल

23 comments:

  1. माँ शारदा के चरणों में बहुत सुन्दर वंदना. सादर नमन 🙏 🙏

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया
      सादर नमन

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  2. सुंदर ललित वंदना।

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    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय सर
      सादर नमन

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  3. बेहतरीन लेखन। जय माँ शारदे।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय
      सादर नमन जय माँ शारदे

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  4. बहुत सुंदर वंदना!!!!

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीया
      सादर नमन

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  5. वाह्ह्ह....बहुत सुंदर,शब्द-शब्द भावभक्ति से ओत-प्रोत..आँचल माँ.का आशीष और स्नेह तुमपर सदैव बरसता रहे यही कामना है।

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    1. आप स्वयं माँ शारदे की कृपा आशीष की धनी हैं आपसे नेह आशीष पाकर हम गदगद हो गये हृदयतल से आभार आदरणीया दीदी जी सादर नमन

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  6. भाषा और शब्द लालित्य लिये सुंदर मोहक स्तुति।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया
      सादर नमन

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  7. बसंत पंचमी की हार्दिक शभकामनाएं

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    1. आपको भी आदरणीया दीदी जी
      आभार...सादर नमन

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  8. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (12-02-2019) को "फीका पड़ा बसन्त" (चर्चा अंक-3245) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सर
      रचना का मान बढ़ गया
      सादर नमन

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  9. उत्साह बढ़ाने हेतु आभार आदरणीय
    सादर नमन

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  10. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सर
    हमारी रचना को हलचल पर स्थान देकर मान बढ़ाने हेतु हार्दिक आभार
    सादर नमन

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  11. जय मां शारदे

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  12. बेहतरीन भावपूर्ण वंदना....

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  13. स्वीकार करो माँ मेरा वंदन ...
    आमीन ... इस मधुर रस रागिनी को माँ का स्वयं आशीर्वाद मिला हुआ है ... सुन्दर रचना ...

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  14. ऋतु बसंत सुंदर तिथि पंचम
    ओढे पीत चुनरिया खेत लगे दुल्हन
    करे नमन तुम्हे धरती का कण कण
    स्वीकार करो माँ मेरा भी वंदन
    .
    बहुत ही भावमय

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  15. प्रिय आंचल , बहुत दिनों के बाद तुम्हारे ब्लॉग पर मुखरित मौन के सौजन्य से पहुँच पायी | बहुत ख़ुशी हुई तुम्हारे ब्लॉग पर आकर | अध्यात्मिक और भक्ति पूर्ण लेखन में तुम्हारा जवाब नहीं | तुम्हारी कलम से लिखी माँ शारदे की ललित वन्दना मुक्त कंठ से प्रशंसनीय है | माँ शारदे की आशीष तुम्हारी कलम पर यूँ ही बनी रहे मेरी दुआ और कामना है | हार्दिक स्नेह के साथ हार्दिक शुभकामनायें तुम्हारे लिए |

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