Friday, 25 January 2019

जो बजा डमरू इलेक्शन का



जो बजा डमरू इलेक्शन का 
सब नेता खेल दिखाने लगे
खुद की चतुराई पर नाज़ इतना
जनता को उल्लू बनाने लगे
कभी  साइकिल पर हाथी सवार
कभी बहन भाई की अगुआई करे
कभी कमल रहा कीचड़ उछाल
जाने क्या क्या स्वाँग रचे
मंदिर - मस्जिद, राफेल,आरक्षण 
सब मुद्दे ऐसे उठा रहे
हितैषी बने जनता के जो
जनता को ही ठगने लगे
झूठे वादे परोसकर
झोली वोट से भरने चले
पर भूल गये की जनता भी
शातिरों की सरताज है
खेल तुम्हारे खूब समझती
बैठी अभी चुपचाप है
आने को है वक़्त उसका
जब देगी तुम्हें जवाब वो
तब डमरू नही बजेगा डंका
क्योंकि गणतंत्र का यहाँ राज है
#आँचल
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

10 comments:

  1. राजनेतिक पार्टियों की असलियत दिखा कर पोल खोलती रचना.
    अच्छा लेखन.
    आपको भी गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.

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    1. उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार आदरणीय सर
      सादर नमन

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  2. वाह्ह्ह.. आँचल बहुत सुंदर संदेश.. जागृति का ..पर मतदाता को इन मदारियों के पीछे नहीं रहना है।

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    1. जी दीदी जी बिल्कुल...भला मतदाता पीछे कैसे रह सकते हैं
      हार्दिक आभार सादर नमन

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  3. वाह !!बहुत सुन्दर

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    1. हृदयतल से आभार आदरणीया
      सादर नमन

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (27-01-2019) को "गणतन्त्र दिवस एक पर्व" (चर्चा अंक-3229) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    गणतन्त्र दिवस की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय सर

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  5. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/01/106.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सर

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