बैठी साहिल की खामोशी के साथ
सुन रही थी जलधि का शोर
कोशिश थी मेरी जानने की
क्यू सागर है इतना दंभ विभोर
तभी लहरों ने मन को भाँप लिया
और मुझको भी अपने साथ लिया
फिर छोड़ दिया गहरे सागर में
मैं उतर गयी जल के भूतल पेफिर वही कहीं से परियाँ आयी
साथ अपने एक एक सीप सब लायी
देखकर आँखें अचरज में थी
जलपरियों के मैं बीच खड़ी थी
तभी उनमें से एक ने कदम बढ़ाया
सीप को मेरे हाथ थमाया
फिर प्यार से सिर पर हाथ फिरा कर
उदधि का अद्भुत एक राज़ बताया
जो देख रही हो ये साफ़ समंदर
सारी है इन सीपों की माया
जैसे धरती पर तरूवर की छाया
बस वही स्थान यहाँ सीपों ने पाया
जैसे प्रदूषण से करता वृक्ष रोकथाम
कुछ ऐसा ही जल में सीपों का काम
जो खींच कर खुद में दूषित कण को
जल को स्वच्छ बनाता है
घटा के जल से नाइट्रोजन को ऑक्सीजन का दर बढ़ाता है
सुनकर सब हैरान मैं थी
सीपों की कथा से अनजान जो थी
परियों ने फिर आगे बतलाया
एक करिश्मे से मुझको अवगत कराया
खोला मुख अपना उस सीप ने था
थामा जिसको मैंने हाथ में था
देख रही हो ये सुंदर काया
रत्नों में नाम है जिसने पाया
जलधि का ही एक अंश है ये
सीप गर्भ में जो था आया
माँ सा सीप ने इसको पाला
प्रेम से अपने इसको दमकाया
सहकर जाने कितनी पीड़ा
सीप ने इसको मोती बनाया
ये सत्य नही की जलधि को खुदपर ही अभिमान है
ये तो सीप का प्रेम त्याग है जिसपर सागर को इतना गुमान
सीपों के अस्तित्व से ही जीवित ये जलधाम है
जलचर के लिए तो जैसे बस सीप ही भगवान है
जब जान गयी सीपों की गाथा
आदर में झुक गया मेरा भी माथा
हे सीप तू तो वरदान है
तेरी महिमा को मेरा प्रणाम है
वंदन को फिर मैंने मूँदी आँख
खोला तो फिर थी मैं साहिल के साथ
पर हाथ में मेरे वो सीप भी था
जिसमें रखा सुंदर एक मोती था
जिसकी दमक पर साहिल भी बोल उठा
हे सीप तुझीसे पयोधि कथा
#आँचल
बहुत परिपक्व लेखन।अद्भुत विचार। आभार एवं बधाई!!!
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सर आपके इस उत्साहवर्धक टिप्पणी और शुभकामनाओं के लिए
Deleteसादर नमन शुभ दिवस
फादर्स डे की हार्दिक बधाई 🙇
अंतर्मन को स्पर्श करती मनोहारी अभिव्यक्ति. उत्कृष्ट सृजन. मात्राओं सम्बंधी मामूली त्रुटियों को दुरुस्त कर लेने पर रचना और अधिक निखर जायेगी. फ़िर को फिर लिखिये क्योंकि यहाँ नुक़्ता अनावश्यक है. कुछ शब्द नुक़्ते के साथ होते हैं और कुछ में हमें भ्रम होता है जैसे इलाज, वजूद, लाजवाब आदि में नुक़्ता नहीं जुड़ता. कदम= एक पेड़, क़दम= पाँव
ReplyDeleteलिखते रहिये आपकी रचना ने मुझे प्रभावित किया है अतः आपको समझाइश भी दे बैठा.
बधाई एवं शुभकामनाएं.
हम हृदयतल से आपके आभारी हैं आदरणीय सर जो आपने हमे हमारी त्रुटियों से अवगत कराया। दरसल हम phonetics का इस्तेमाल करके लिखते हैं इस कारण अक्सर त्रुटियाँ हो जाती हैं पर post डालने से पहले हम उन्हें सुधार लेते थे पर इस बार जल्दबाज़ी में हमने रचना को पढ़े बिना ही post कर दिया था इस कारण त्रुटियों पर हमारा ध्यान नही गया आप ना बताते तो शायद जाता भी नही।
Deleteऔर "फ़िर" "फिर" को लेकर तो हम वाक़ई भ्रमित थे आपके कारण आज भ्रम दूर हो गया। हमे हिन्दी शब्दों का बहुत अधिक ज्ञान नही है इसलिये आपकी ये टिप्पणी हमारे लिए विशेष हैं जिसने नुक़्ता के विषय हमारा ज्ञान बढ़ाया।
आपकी बधाई शुभकामना और सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙇
हमे जानकर खुशी हुई की आपको रचना पसंद आयी।आगे भी अगर कोई त्रुटि नज़र आए तो हमे अवगत कराइएगा क्युन्की त्रुटियों को सुधारना ही कलम को तराशना है
पुनः आभार आपका आपकी ज्ञानवर्धक विशेष टिप्पणी के लिए सादर नमन शुभ दिवस
फादर्स डे की हार्दिक बधाई 🙇
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (18-06-2018) को "पूज्य पिता जी आपका, वन्दन शत्-शत् बार" (चर्चा अंक-3004) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय राधा जी हमारी रचना को इस योग्य समझने के लिए सादर नमन शुभ दिवस 🙇
Deleteविज्ञान और रसायन शास्त्र की शोध पर बहुत गहरी और भाव भीनी रचना सुंदर शब्दावली और लय को बांधती सुंदर अप्रतिम रचना आंचल आपकी रचना मन को भा गई और देखो गुणी जनो का आशीर्वाद भी पा गई सदा ऊंचाइयों को छू ते रहना।
ReplyDeleteये आपका अनमोल स्नेह आशीष ही है जो आज आदरणीय विश्व मोहन सर और आदरणीय रवीन्द्र सर जैसे गुणी जनों का आशीर्वाद पाने योग्य हम बन सके वरना हम इस लायक कहाँ
Deleteहमारे लिए तो ये किसी बड़ी उपलब्धि या उपाधि को प्राप्त करने जितना हर्षपूर्ण है
बहुत बहुत धन्यवाद दीदी जी आपकी मनमोहक टिप्पणी सदैव उत्साह बढ़ाती है
आपका आशीष सदैव यूँही प्राप्त होता रहे इसी कामना के साथ सादर नमन शुभ दिवस 🙇
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १८ जून २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
आदरणीया श्वेता दीदी बहुत बहुत धन्यवाद हमारी रचना को चुनने के लिए
Deleteबिलकुल आऊँगी
सादर नमन शुभ दिवस 🙇
👏👏👏👏क्या बात आँचल काव्य रचा या सागर मंथन कर डाला ...कितने विषयों को छू कर नव काव्य सुनहरा रच डाला .....सदा रचो उन्नत काव्य नव संस्कृति की ग्राहक हो सरस लेखनी बढे चले मन तृप्त और परिचायक हो !
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया दीदी जी
Deleteमंथन ही समझिए क्युन्की सीप जैसे गुणकारी जीव के बारे जाने कितना कुछ है जिसके विषय में हमे कुछ ज्ञात नही और इसकी महिमा एसी है जो हम मनुष्यों को ज़िंदगी का ज्ञान भी दे सकती है
हम तो बस इसके कुछ ही गुणों को प्रस्तुत कर पाए हैं
बस आपका अनमोल स्नेह आशीष यूँही मिलता रहेगा तो बेशक हमारी कलम को उन्नति प्राप्त होती रहेगी
पुनः आभार आपका दीदी जी अपनी मनमोहक टिप्पणी द्वारा उत्साह बढ़ाने हेतु और आपके स्नेह आशीष हेतु
सादर नमन शुभ दिवस 🙇
Covered up the pollution and chemistry very nicely, loved it a lot.
ReplyDeletethank you so much respected Sarkar Ji
Deletewelcome to my blog
have a good day 🙇
वाह!बहुत खूबसूरत !!
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया शुभा दीदी आपकी मनमोहक प्रतिक्रिया के लिए
Deleteसादर नमन शुभ रात्रि 🙇
वाह
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका 🙇
Deleteरोचक कथा सीप की ...
ReplyDeleteविज्ञानं के तथ्यों के साथ रचना में निखार आ गया है जो नवीनता देता है इस लाजवाब रचना को ...