इंतजार में तेरे मेरी रातें सब बदनाम हुई
गुलज़ार दिनों की रौनक भी बस नज्मों पर तमाम हुई
खैर मक़्दम को तेरे रोज़ गुलाबों से महकाई फीज़ा
तेरी बेखुदी को देख महफ़िल-ए-गुलाब गम्जदा हुई
तेरे उल्फत के जो मैंने जाम पीए ख्वाबों के नशे में मैं डूब गयीं
ढल रहा है शबाब मेरा पर दिल की धड़कने जवान हुई
ये मेरी वफ़ा का आलम है जो बेपनाह इंतजार में दिल हर पल बेकरार रहा
ज़माने की गफलतों में मैं ढल गईं मेरी कहानी खुली किताब हुई
इज़हार-ए-मोहब्बत ए खुदा तेरे नाम की सरेआम की
इबादत-ए-इश्क में होकर फ़ना मेरी रूह भी बस तेरे नाम हुई
इंतजार,इज़हार,गुलाब,ख्वाब,वफ़ा,नशा
ए खुदा तुझे पाने की सरेआम कोशिशें तमाम हुई
दर दर भटकती निगाहों को खुदी में तेरा दीदार हुआ
रूह से रूह मेरी मिली कारवाँ-ए-ज़िंदगी तमाम हुई,इबादतों में इश्क इकरार हुई
इबादतों में इश्क इकरार हुई
#आँचल
गुलज़ार दिनों की रौनक भी बस नज्मों पर तमाम हुई
खैर मक़्दम को तेरे रोज़ गुलाबों से महकाई फीज़ा
तेरी बेखुदी को देख महफ़िल-ए-गुलाब गम्जदा हुई
तेरे उल्फत के जो मैंने जाम पीए ख्वाबों के नशे में मैं डूब गयीं
ढल रहा है शबाब मेरा पर दिल की धड़कने जवान हुई
ये मेरी वफ़ा का आलम है जो बेपनाह इंतजार में दिल हर पल बेकरार रहा
ज़माने की गफलतों में मैं ढल गईं मेरी कहानी खुली किताब हुई
इज़हार-ए-मोहब्बत ए खुदा तेरे नाम की सरेआम की
इबादत-ए-इश्क में होकर फ़ना मेरी रूह भी बस तेरे नाम हुई
इंतजार,इज़हार,गुलाब,ख्वाब,वफ़ा,नशा
ए खुदा तुझे पाने की सरेआम कोशिशें तमाम हुई
दर दर भटकती निगाहों को खुदी में तेरा दीदार हुआ
रूह से रूह मेरी मिली कारवाँ-ए-ज़िंदगी तमाम हुई,इबादतों में इश्क इकरार हुई
इबादतों में इश्क इकरार हुई
#आँचल
बहुत सुंदर आंचल बहन मीरा की इबादत या आत्मा का राग जो भी है बहुत पावन सा।
ReplyDeleteमीरा की इबादत भी है राधा की चाहत भी है उस हर आत्मा का राग है जो बस उस परमात्मा से इश्क कर तड़पता है
Deleteआपको पसंद आयी सार्थक हो गयी कुसुम दीदी
बहुत बहुत धन्यवाद इस मनमोहक टिप्पणी के लिए
वाह !!!बहुत खूबसूरत।मन को छू गई आप की रचना। लाजवाब !!!
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय नीतू दीदी आपकी इस उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए 🙇
Deleteबेहद खूबसूरत रचना।
ReplyDeleteमेरे सामान्य से शेर को एक भक्ति की मोहब्बत से जोड़ दिया आपने
इस रचना को कोई सानी नहीं।
आभार
आदरणीय रोहीताश जी जिस शेर को आप सामान्य कह रहे हैं उसे पढ़कर लगा नही था की दो शब्द भी इस पर लिख पाऊँगी पर कोशिश की आपके शेर को अपने रंग ढंग में ढाल कर प्रस्तुत करने की जो आपको पसंद आयी हमारी कोशिश सफल हो गयी सराहना के रूप में पंक्तियों का मान बढ़ाने के लिए आभार
Deleteशुभ दिवस
जय श्री कृष्णा 🙇
अद्भुत रचना..
ReplyDeleteइबादत, चाहत,राग,अनुराग को समाविष्ट करती रचना।
हार्दिक आभार आदरणीय पम्मी जी आपके द्वारा इस उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए 🙇
Deleteवाह!!बहुत सुंदर ।
ReplyDeleteपंक्तियों का मान बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय शुभा जी
Deleteशुभ दिवस
प्रति उत्तर में देरी के लिए क्षमा
ReplyDeleteबिलकुल आऊँगी बहुत बहुत धन्यवाद दीदी जी
खूबसूरत रचना, इश्क को सूफियाना रंग देती हुई। बधाई।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय मीना जी
Deleteरचना का मान बढ़ाने के लिए
शुभ संध्या शुभ दिवस
बेहद खूबसूरत रचना
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