Thursday, 12 April 2018

काश अभी थम जाए ये पल

काश अभी थम जाए ये पल
और ना आए कभी वो काला कल
जब पेड़ों की ना कोई छाँव होगी
बगिया में भौंरो की ना गूँज होगी
कोयल की ना कोई कूक होगी
ना होगी बागीचों में आम की चोरी
ना होगी धरा पे फूलों की रंगोली
जब होगी महामारी,अकाल,भुखमरी
नदियों में होगी जलाचर की बलि
कुदरत की छवि ना जब सुंदर होगी
भयानक जहान की सब घड़िया होगी
दूषित हवा में ना जब साँसें होंगी
और कयामत की चहूँ ओर झलकियां होगी
मनु के बोए काँटों की खिली बगिया होगी
काश कभी ना आए वो मंजर
समय ने बदली हो जब करवट भयंकर
काश अभी थम जाए ये पल
और ना आए कभी वो काला कल
काश अभी थम जाए ये पल
काश........
                           #आँचल

18 comments:

  1. बिल्कुल सही कहा..

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    1. धन्यवाद अन्नु दीदी
      हमारे blog पर आपका स्वागत है 😊

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  2. आने वाले कल की भयावह तस्वीर कितना खौफनाक मंजर होगा जिंदगी जीने के लिये नही सिर्फ मिलेगी भुगतने को ।
    दारुण सत्य जो कभी सच ना हो

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    1. जी बिलकुल सही कहा आपने दीदी जी वाक़ई ज़िंदगी जीने को नही बस भुगतने को मिलेगी
      धन्यवाद 🙇

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  3. Bahot acchi aur meaningful Kavita h . Bilkul Sahi baat boli h Tumne , aaz kal tarrki ke Raaste pe chalte hue log prakriti kon bhul gaye h .

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    1. बिलकुल सही कहा आपने तरक्की की राह में प्रकृति को भूल गये हैं लोग
      धन्यवाद सुप्रभात

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  4. बहुत खूब...
    वाह!!!

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    1. अति आभार सुप्रभात

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद नवीन जी
      सुप्रभात सादर

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २० अप्रैल २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद दीदी जी
      हम अवश्य आयेंगे.आभार सुप्रभात

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  7. ऐसा कमाल का लिखा है आपने कि पढ़ते समय एक बार भी ले बाधित नहीं हुआ और भाव तो सीधे मन तक पहुंचे !!

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    1. लिखते वक़्त कलमकार की यही कोशिश होती है की उसके भाव शब्दों के माध्यम से पाठक तक पहुँच जाए
      आप तक हमारी रचना के भाव पहुँच गए रचना सार्थक हुई
      आभार
      सादर

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  8. बहुत खूबसूरत रचना।वाह!!!
    भाव तो सीधे मन तक पहुंचे...

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  9. वाह!!बहुत खूबसूरत रचना!

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  10. बहुत सुंदर रचना...

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  11. सुन्दर रचना । आने वाले संकट से आगाह करती कविता।
    बहुत अच्छा लिखा आपने।
    सादर

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