Monday, 15 January 2018

हर अलाव कुछ कहता है

हर अलाव कुछ कहता है

हर अलाव कुछ कहता है
जीवन को रूप नया देता है
जो सीखा इसने जलते जलते
बुझकर वो सीख सिखाता है

खुद जल कर ये राख हो जाता
पर राहतों की मुस्कान दे जाता
गैरों के सुख में सुख को ढूँढ़ो
जीने का ये बेहतर ढंग सिखाता

वर्तमान का बोध कराता
कर्म का अहम पाठ पढ़ाता
समय यही है कुछ कर जाने का
बुझ कर ये तन कुछ काम ना आता

क्षणभंगुर इस जग में बंदे
गुरूर कहाँ टिक पाता
गरमाहट दे जो त्याग,प्रेम की
वो मर कर अमर हो जाता

हर अलाव कुछ कहता है
जीवन को रूप नया देता है
जो सीखा इसने जलते जलते
बुझकर वो सीख सिखाता है

                               -आँचल

4 comments:

  1. Very Good keep up writing 👌👍👍👍

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  2. Very well Written बेटा... 😊👌🏻👌🏻👌🏻
    इसे कहते हैं जान फूंकना...

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद भइया जी 🙏
      हमे पता था आपका comment ज़रूर आयेगा...बस इसी तरह अपना स्नेह और आशीष हम पर बनाए रखिएगा 🙏🙏😊

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